1. क्या मामले मैं समझौता करने की संभावना है?
हैं, पर यह अपराध की प्रकृति पर निर्भर है I विधि कुछ प्रकार के निश्चित अपराधों मैं समझौता करने की आज्ञा प्रदान करती है- ऐसे अपराध ज्यादातर निजी प्रकार के होते हैं एवं अन्य अपराध की तुलना मैं कम गंभीर होते हैं I सामान्यत;, यदि ऐसें अपराध के पीड़ित व्यक्ति एवं अभियुक्त समझौता कर लेते हैं तो न्यायालय ऐसे समझौते को स्विकृती दे अपराध का प्रशमन कर सकता है I
यदि आप जिस अपराध से आरोपित हैं, वह प्रशमन बाबत भारत दंड प्रक्रिया , १९७३ की सूचि मैं उल्लेखित नहीं है, तो उसे अप्र्श्मनीय माना जाता है I यही नियम भारतीय दंड संहिता के आलावा किसी और कानों पर भी लागु होता है- सामान्यत; यह विशिष्ट अपराध प्र्श्मनीय नहीं है, जब तक की स.बी.धित कानून मैं इस बाबत प्रावधान न हो I
यदि अपराध समझौता योग्य नहीं है, फिर भी, कुछ परिस्थितियों मैं उच्च न्यायालय किसी भी चरण पर केस को समाप्त कर सकता है I इसे ‘निर्स्तिकर्ण’ (quashing) कहते हैं I उदाहरणार्थ, यदि आप पीड़ित से समझौता कर लेते हैं, उच्च न्यायालय आपके विरुद्ध आपराधिक प्रक्रिया को समाप्त करने का निर्णय ले सकता है I वैवाहिक एवं संपति संबंधी मामलों मैं ऐसा होने की संभवना ज्यादा है I अधिक गंभीर अपराध जैसे हत्या, दुष्कर्म, इत्यादि मैं सामान्यत: न्यायायलय समझौते की आगया नहीं देता है I
2. अपराध को प्रशमन कौन कर सकता है ?
आम तौर पर पीड़ित ही समझौता संबंधी बात को आरंभ कर सकता है I भारतीय दंड प्रक्रिया मैं उल्लेखित सूचि इस बाबत बताती है कि समझौता कौन कर सकता है I इन अपराधों मैं , कुछ अपराध केवल न्यायाधीश जिसके समक्ष ट्रायल विचाराधीन है की आगया से प्र्श्मनीय है I
3. मैं समझौता करने का प्रयास कब कर सकती हूँ?
प्रशमनीय अपराध मैं समझौता ट्रायल के किसी भी चरण मैं हो सकता है, जब तक की यह निर्णय से पहले हो I यदि न्यायालय ने आपको दोषी माना है एवं सजा बाबत निर्णय भी ले लिया है, एवं आपने उच्चतर न्यायालय के समक्ष अपील कर राखी है , तो उच्चतर न्यायालय की आज्ञा लेकर आप समझौता कर सकते हैं I जब मामला इस तरह रदद् हो जाये, तो आपको अपराध कारित करने का दोषी ही माना जाता है I
4. क्या निम्नलिखित परिस्थितियों मैं अपराध प्रशमनीय है ?
- आपको किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपराध कारित करने मैं सहायता करने के लिए आरोपित किया गया है
- हाँ, यदि वह अपराध CrPC १९७३ की सूची मैं प्रशमनीय श्रेणी मैं उल्लेखित है I
- अपराध पीड़ित १८ वर्ष से कम है अथवा मानसिक रूप मैं बीमार है
- हाँ, पीड़ित का स्नर्क्ष्क अथवा अन्य व्यक्ति जो उसका विधिक रूप से प्रतिनिधित्व कर सके एवं वह न्यायाधीश से आगया प्राप्त करे, तो वह पीड़ित के और से समझौता कर सकती है I
- अपराध -पीड़ित की मृत्यु हो जय
- हाँ, पीड़ित का विधिक प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति उसकी ओर से मामले मैं समझौता कर सकता है , न्यायाधीश से आगया लेने के पश्चात
5. यदि आपने पूर्व मैं अपराध कारित कर रखा है, क्या फिर भी मामला प्रशमनीय है?
सामान्यत:, नहीं I कुछ निश्चित परिस्थितियों मैं विधि आपसे अलग बर्ताव करती है यदि आपने पूर्व मैं अपराध कारित किया है- आदतन अपराधी इस कारण अधिक कारावास अथवा जुरमाना के उतरदायी हैं I ऐसे परिस्थितियों मैं दुसरे अपराध के लिए समझौता नहीं किया जा सकताI
यह लेख न्याय द्वारा लिखा गया है. न्याय भारत का पहला निःशुल्क ऑनलाइन संसाधन राज्य और केन्द्रीय क़ानून के लिए. समझिये सरल भाषा मैं I