गिरफ्तारी (आरोपी के नजरिए से)

1. गिरफ्तारी वारण्ट क्या है?

वारंट एक अधिकारिक आदेश है जो मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है जिससे वह पुलिस को कुछ कार्य करने के बाबत् आदेश देती है। ‘गिरफ्तारी वारण्ट’ किसी को गिरफ्तार करने का मजिस्ट्रेट का आदेश है। कुछ परिस्थितियों में मजिस्ट्रेट किसी अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तारी वारण्ट निष्पादित करने के लिए अधिकृत कर सकती है।

2. क्या पुलिस को मुझे गिरफ्तार करने के लिए गिरफ्तारी वारंण्ट की आवश्यकता है?

नहीं, उन्हें वारण्ट की आवश्यकता नहीं होती। यदि उनको आप पर शक है कि आपने गंभीर अपराध कारित किया है। ऐसे अपराध जिनके लिए वारण्ट के बिना गिरफ्तारी की जा सकती है को संज्ञेय अपराध कहते हैं। जैसे कि हत्या, यौन अपराध, अम्लीय हमला, आग शुरू करना, दंगा फसाद करना इत्यादि। सामान्यतः मजिस्ट्रेट अपराध का चार्ज लेगा। क्योंकि इस प्रकार के अपराध में पुलिस द्वारा तुरन्त कार्यवाही करना आवश्यक होता है। पुलिस मजिस्ट्रेट की आज्ञा के बिना ही चार्ज ले सकती है।

असंज्ञेय अपराध कम गम्भीर अपराध होते हैं, जैसे कि परगमन, मानहानि इत्यादि। जब असंज्ञेय अपराध घटित हुआ हो, पुलिस को गिरफ्तारी करने के लिए मजिस्ट्रेट से आज्ञा प्राप्त करना अनिवार्य है। आम तौर पर क्योंकि यह अपराध निजी प्रकृति के होते हैं एवं पुलिस का तुरन्त कार्यवाही प्रारम्भ करना आवश्यक नहीं है मजिस्ट्रेट से आज्ञा लेने की सामान्य प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। इस सामान्य नियम का अपवाद है जब पुलिस आपको असंज्ञेय अपराध कारित करते हुए देख ले अथवा उनकी उपिंस्थति में असंज्ञेय अपराध कारित करने का आरोप लगा है एवं आप अपना नाम पता देने से मना कर दें। अथवा उन्हें गलत नाम पता बता दे, तो उस परिस्थिति में पुलिस द्वारा आपको गिरफ्तार किया जा सकता है।

3. पुलिस बिना वारण्ट कब गिरफ्तार कर सकती है?

उपरी तौर पर, दो परिस्थितियों में पुलिस आपको बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकती है। पहला, जब आप असंज्ञेय अपराध कारित करने के संदिग्ध हैं। दूसरा, जब पुलिस को यह आशंका हो कि आप संज्ञेय अपराध कारित करने वाले हैं।

  • पहली श्रेणी में, विधि विशिष्ट परिस्थितियों का उल्लेख करती है जिनमें पुलिस आपको बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकती हैः
  • जब आप पुलिस आफिसर के सामने अपराध कारित करें (उदाहरण के लिए सार्वजनिक सभा में अथवा पुलिस स्टेशन में),
  • जब पुलिस को एक विश्वसनीय सूचना मिली है या एक शिकायत हुई है कि आपने एक संज्ञेय अपराध कारित किया है,
  • न्यायालय ने आपको ‘घोषित अपराधी’ करार किया है,
  • यदि पुलिस ने आपके पास चोरी की सम्पत्ति बरामद की है अथवा आप संदिग्ध हैं,
  • एक पुलिस आफिसर अपनी ड्यूटी करने का प्रयास कर रही है एवं आप उसमें बाधा उत्पन्न करें,
  • यदि आप अभिरक्षा से फरार हो जायें,
  • यदि आप सेना से भगोड़े होने के संदिग्ध हैं,
  • यदि भारत के बाहर आप किसी अपराध में संदिग्ध हैं, एवं आप भारत वापिस लाये जाने के उत्तरदायी हैं, अथवा
  • आप पूर्व में किसी अपराध के लिए दोषी घोषित किए गए हैं, एवं आप ‘रिहा अपराधी’ सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन करते हैं।

गिरफ्तार होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है यदि आप किसी संज्ञेय अपराध के आरोपित हैं जिसमें सात वर्ष से कम कारावास का प्रावधान हो। पुलिस को आपके शामिल होने बाबत् विश्वसनीय सूचना होनी चाहिए। आगे, आप सिर्फ तभी गिरफ्तार किये जा सकते हैं यदि,

  • आपके फरार होने की, साक्ष्य नष्ट करने की, या पीढ़ित एवं गवाहों पर प्रभाव डालने की सम्भावना है।
  • आपके द्वारा एक और अपराध करने की सम्भावना है, अथवा
  • पुलिस अनुसंधान में आपकी उपस्थिति आवश्यक है,

उच्चतम न्यायालय ने यह माना है कि ऐसे हर मामले में पुलिस को शुरूआत पुलिस थाने में ‘उपस्थिति बाबत् नोटिस’ से करनी चाहिए। यदि पुलिस को आपको गिरफ्तार करने की आवश्यकता प्रतीत होती है, उनके पास ऐसा करने के लिए यथोचित कारण होने चाहिए एवं इन कारणों का रिकार्ड करना आवश्यक है। पुलिस आफिसर को एक ‘गिरफ्तारी मीमो’ (फर्द गिरफ्तारी) गिरफ्तारी के समय बनाना होता है जिसमें उपरोक्त कारण एवं अन्य सूक्ष्मताओं का अंकन होता हैं एवं आप द्वारा यह हस्ताक्षरित होता है। उच्चतम न्यायालय ने पुलिस को उपस्थिति नोटिस मामले की शुरूआत से दो हफ्ते के भीतर देने बाबत् निर्देशित किया है। यदि वह गिरफ्तारी नहीं कर रहे तो उन्हें इस बाबत् मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है।

4. क्या मैं गिरफ्तारी का विरोध कर सकती हूं यदि मुझे लगे कि मुझे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए?

ऐसा विरोध किसी भी प्रकार से आपकी सहायता नहीं करता है। यह सिर्फ पुलिस को बल प्रयोग करने के लिए अधिकृत करता है। यदि आप गिरफ्तारी बाबत् अपनी अधिनता नहीं स्वीकारते हैं पुलिस आपको गिरफ्तार करने के लिए सम्पूर्ण आवश्यक साधनों का प्रयोग कर सकती है। हालांकि उनका यह कर्तव्य है कि वह आपकी मृत्यु न कारित करे, परन्तु वह घातक बल का प्रयोग ले सकते हैं यदि आप किसी ऐसे अपराध से आरोपित हैं जो मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय है।

5. क्या मुझे यह पता करने का अधिकार है कि मुझे गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है एवं क्या मैं किसी को इस बाबत् सूचना दे सकती हूं?

हॉं। पुलिस का कर्तव्य है कि वह आपको गिरफ्तारी के कारणों की सूचना दे। उन्हें आपको आपके जमानत पर रिहा होने के अधिकार बाबत् भी बताना होता है। यदि उनके पास गिरफ्तारी वारण्ट है, उन्हेंं आपको वारण्ट जारी करने के प्रमुख कारणों बाबत् भी बताना होता है। यदि आप वारण्ट प्रत्यक्ष देखने का निवेदन करें, तो उनका कर्तव्य है कि वह आपको वारण्ट दिखाये।

आपका अधिकार है कि आप अपने गिरफ्तारी के सम्बन्ध में परिवार अथवा मित्र को सूचना दें। पुलिस आपको पुलिस स्टेशन ले जाते ही एवं इस बारे में संबंधित डायरी में प्रविष्टि करते ही इस अधिकार बाबत् सूचित करेगी।

6. क्या पुलिस मुझे गिरफ्तार करते वक्त मेरी तलाशी ले सकती है?

हॉं, ऐसे में पुलिस आपकी तलाशी ले सकती हैं एवं जो कुछ भी बरामद हो उसे सुरक्षित अपनी अभिरक्षा में रख सकती है। यदि आप महिला हैं तो आपकी तलाशी केवल एक महिला पुलिस कर्मी द्वारा ही ली जा सकती है। पुलिस को आपको एक ‘जामा तलाशी मीमो’ देना होता है जो उनके द्वारा अभिरक्षा में ली गई सम्पूर्ण वस्तुओं की एक सूची है। मजिस्ट्रेट की आज्ञा पश्चात् वह आपके फिंगर प्रिंट भी ले सकते हैं।

7. क्या मेरे गिरफ्तार होते हुए मेरा डाक्टर अथवा चिकित्सक अधिकारी द्वारा चिकित्सीय परिक्षण हो सकता है?

हॉं, ऐसा करने के दो उद्देश्य हो सकते हैंः-

  • पहला यह निर्धारित करना कि क्या अभियुक्त के रूप में आपको चोटिल किया गया है या आप पर हिंसा कारित हुई है। आप डॉक्टर द्वारा निर्मित रिपोर्ट की एक प्रति मांग सकते हैं। यदि आप महिला है तो आपका चिकित्सीय परीक्षण महिला डॉक्टर द्वारा ही किया जा सकता है।
  • यदि पुलिस यह सोचे की आपका चिकित्सीय परीक्षण यह साबित कर सकता है कि आपने अपराध कारित किया है तो वह डाक्टर को आपका परीक्षण करने का निवेदन कर सकते हैं। यदि इसमें आप डाक्टर से सहयोग नहीं करते तो पुलिस आप पर यथोचित बल का प्रयोग कर सकती है।

8. पुलिस मुझे कितने समय तक अभिरक्षा में रख सकती है?

गिरफ्तारी के पश्चात् पुलिस का आपको जितनी जल्दी सम्भावित हो उतनी जल्दी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है। वह आपको 24 घण्टे से ज्यादा गिरफ्तारी में नहीं रख सकते – इसमें न्यायालय पहुंचने की यात्रा की समयावधि शामिल नहीं है। पुलिस को मजिस्ट्रेट को केस डायरी में की गई प्रविष्टियों की एक प्रति भी देनी होगी। ‘केस डायरी’ एक प्रतिदिन की डायरी है जिसमें अनुसंधान सम्बन्धी सारी सूक्ष्मताओं का अंकन होता है। उच्चतम न्यायालय ने पुलिस को निर्देशित किया है कि वह मजिस्ट्रेट को एक सूची उपलब्ध कराये जिसमें आपको गिरफ्तार करने के कारणों का उल्लेख हो एवं आपकी गिरफ्तारी सम्बन्धी सम्पूर्ण दस्तावेज, गिरफ्तारी मीमो सहित संलग्न हो।

मजिस्ट्रेट के समक्ष आपको प्रस्तुत करने के पश्चात् मजिस्ट्रेट, आपको या तो उन्मोचित कर सकता है अथवा आपको जमानत का लाभ प्रदान कर सकता है। आपके अधिवक्ता को आपकी रिहायी की मांग रखनी चाहिए यदि पुलिस को केवल उपस्थिति नोटिस देने की आवश्यकता थी एवं आपकी वास्तविक गिरफ़्तारी की जरूरत नहीं थी। 24 घण्टे के बाद पुलिस आपको सिर्फ मजिस्ट्रेट की आज्ञा से हिरासत में रख सकती है। वह पुलिस अथवा न्यायिक अभिरक्षा की मांग कर सकते हैं। पुलिस अभिरक्षा गिरफ्तारी के पश्चात् सिर्फ 15 दिन तक चल सकती है। इसका मतलब यह है कि आप पुलिस थाने स्थित ‘लॉक अप’ में सिर्फ 14 और दिनों के लिए रखे जा सकते हैं।

यदि पुलिस आरोप पत्र पेश नहीं कर पाई है, तो जो अपराध आरोपित है उन पर यह निर्भर करता है कि आप न्यायिक अभिरक्षा में 60 अथवा 90 दिवस तक रखे जा सकते हैंः-

अपराध के प्रकार अभिरक्षा में अधिकतम समय (अनुसंधान के वास्ते)
बहुत गम्भीर अपराध जिनके लिए मृत्युदण्ड अथवा आजीवन कारावास दिया जा सकता हो। 90 दिन
अपराध जिनके लिए आप 10 वर्ष अथवा अधिक से दण्डित किये जा सकते हों। 90 दिन
कोई अन्य प्रकार का अपराध 60 दिन

आप एक बार में 14 दिवस से अधिक समय के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भी नहीं भेजे जा सकते हैं। हर 14 दिवसीय अवधि के पश्चात् आपको मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 60 या 90 दिन की अवधि पूर्ण होने के पश्चात् जमानत पर रिहा होना आपका अधिकार है।

9. मेरे अन्य क्या अधिकार है जब मैं गिरफ्तार किया जा रहा हूं?

  • पुलिस का अभिरक्षा में रहते हुए आपका स्वास्थ्य एवं सुरक्षा बाबत् यथोचित ध्यान रखने का कर्तव्य है।
  • पुलिस का यह कर्तव्य है कि अपराध ‘स्वीकारोक्ति बयान’ लेने के लिए वह आपको धमकी देना, डराना अथवा दबाब बनाने के कदम ना उठायें। पुलिस को दोष स्वीकारने के लिए अथवा सूचना के लिए आपको चोटिल करना या अत्याचार कारित करने के लिए दण्डित किया जा सकता है। उन्हें किसी महिला से लॉक अप में दुष्कर्म करने पर भी सख्त दण्ड से दण्डित किया जा सकता है। यदि आप अत्याचार सह रहे हैं तो कृपया अपने अधिवक्ता को इस बाबत् सूचना दें। आप स्वयं भी इस बारे में मजिस्ट्रेट को बता सकते हैं जब आप उसके समक्ष प्रस्तुत किये जायें।

10. मुझे गिरफ्तार करते हुए पुलिस को और कौनसे कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है?

  • पुलिस को बिना कारण आपका प्रतिरोध नहीं करना चाहिए- उन्हें सिर्फ यह सुनिश्चित करना होता है कि आप अभिरक्षा से फरार न हो जायें।
  • पुलिस को सही एवं दृष्टिगोचर नामपट्ट पहनना होता है जिससे आपको पता रहे कि आपको किस पुलिसकर्मी द्वारा गिरफ्तार किया जा रहा है।
  • पुलिस को एक ‘गिरफ्तारी मीमो’ बनाना होता है जिसे आप अथवा कोई सम्बन्धी द्वारा अथवा किसी स्थानीय प्रतिष्ठावान व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है। गिरफ्तारी मीमो में गिरफ्तारी के स्थान एवं समय का अंकन होना चाहिए। एवं न्यायालय के समक्ष जब आप पहली बार प्रस्तुत किये गये हों तब उस मीमों को मजिस्ट्रेट को सौंपना चाहिए।
  • पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गिरफ्तारशुदा व्यक्तियों का एवं उनको गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मियों का नाम जिले के नियन्त्रण कक्ष (कन्ट्रोल रूम) के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित होना चाहिए।

 

यह लेख न्याय द्वारा लिखा गया है. न्याय भारत का पहला निःशुल्क ऑनलाइन संसाधन राज्य और केन्द्रीय क़ानून के लिए. समझिये सरल भाषा मैं I