1. मुझे गिरफ्तार कर लिया गया है I क्या मैं एक अधिवक्ता से सलाह ले सकती हूँ?
हाँ, आप गिरफ़्तारी पश्चात् अपने वकील से बात करने का मौलिक अधिकार रखती हैं I मौलिक अधिकार वोह है जो भारतीय संविधान द्वारा प्रदान अधिकार है I संविधान मूल विधि है, जो देश का सबसे महत्वपूर्ण कानून है I यह जरुरी है की आप ऐसे अधिवक्ता से संपर्क करें जो आपको अभी तक जो हुआ है एवं, आगे क्या होगा ( मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करने पश्चात् ) समझा सकती है I जब से आप पहली बार मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं, आपके पास एक अधिवक्ता द्वारा आपका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है I उच्चतम् न्यायालय ने भी समय-समय पर इस अधिकार पर बल दिया है I
2. मैं अधिवक्ता से परमर्श कब ले सकती हूँ ?
गिरफ्तार होने के पश्चात जितनी जल्दी संभव हो सके आप अपने अधिवक्ता से परामर्श ले सकती हैं I आप के पास अधिवक्ता होने का अधिकार है, गिरफ़्तारी, अनुसंधान, ट्रायल एवं अपील के दौरान I यदि पुलिस आपसे पूछताछ कर रही है , तो आप उनहे पुच्ताच के दौरान अपने अधिवक्ता से मिलने के लिए कह सकती हैं I परंतु, अधिवक्ता पुच्ताच की संपूर्ण अवाधि के दौरान उपस्थित नहीं रह सकती है I
यदि पुलिस ने आप को बिना गिरफ्तार किए पुच्ताच के लिए बुलाया है , तो आपके पास अधिवक्ता को साथ लाने बाबत अधिकार नहीं है I आप पुलिस से अधिवक्ता की उपस्थिथि बाबत निवेदन कर सकती हैं पर वह इसे अस्वीकार कर सकते हैं I
3. यदि मैं अधिवक्ता की सेवाएं बाबत खर्चा वहन करने मैं असमर्थ हूँ तोह क्या किया जा सकता है ?
केंद्रीय एवं राज्य सरकार ने ‘विधिक सेवा प्राधिकरण’ स्थापित किए हैं, जिन्हें निश्चित व्यक्तियों को मुफ्त विधिक सेवाएँ उपलब्ध करानी होती हैं I वैसे भी , यदि आप गरीब हैं, एवं अधिवक्ता का खर्च वहन नहीं कर सकते, तो अभिरक्षा के दौरान अधिवक्ता उपलब्ध होने का आपका अधिकार है I
उच्चतम न्यायालय ने संपूर्ण मजिस्ट्रेट एवं सेशन न्यायाधीशों को अभियुक्त के इस अधिकार के बारे मैं सूचित करने बाबत निर्देषित किया है I जब आप पहली बार मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत कि जाती हैं तो आपके पास मुफ्त विधिक सेवा प्राप्त करने का अधिकार होता है I मजिस्ट्रेट का आपके इस बाबत सूचित करना उसका कर्तव्य है I आपका यह अधिकार ट्रायल के दौरान उपलब्ध है एवं सारे विधिक उपाय उपयोग करने के पश्चात भी है I
उच्चतम न्यायालय ने सारे पुलिस थानों को भी निर्देश दिया है की वह किसी विधिक सहायता के जरुरतमंद को गिरफ़्तार करें तोह निकटतम विधिक सेवा कमेटी को सूचित करे I
आप जेल अधिकारीयों अथवा पुलिस को अधिवक्ता की आवश्यकता के बारे मैं कह सकते हैं I जब आप हिरासत में हों, पुलिस को २४ घंटों के भीतर आपको मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है I आप इस बाबत मजिस्ट्रेट को भी कह सकते हैं I इन अधिकारीयों को विधिक सेवा प्राधिकरण से समायोजन कर आपको आवेदन तेयार करने मैं मदद करनी होती है I विधिक सेवा के अधिकारी तत्पश्चात आपको आवेदन का जाँच कर यह निर्णय लेना होगा की यदि आपको मुफ्त विधिक सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं I
यह लेख न्याय द्वारा लिखा गया है. न्याय भारत का पहला निःशुल्क ऑनलाइन संसाधन राज्य और केन्द्रीय क़ानून के लिए. समझिये सरल भाषा मैं I