कोविड टीके की जाँच औपचारिक मानदंडों के अनुसार की गई है। यह वायरस के ख़िलाफ़ आपके अंदर इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) पैदा करेगा। ऐसा नहीं है कि इसके बाद आप कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते किन्तु टीकाकरण से आप कोविड-19 के घातक रोग-लक्षण से बचे रहेंगे।
विभिन्न टीकों के लिए समय सीमा भिन्न है। आपके टीकाकरण प्रमाणपत्र में यह अवधि निर्दिष्ट होगी। फ़िलहाल, कोविशील्ड के लिए यह अवधि 12-16 हफ़्तों की है।
नहीं। टीकाकरण केंद्रों में प्रतिदिन सीमित तत्काल पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होती है। बहरहाल, टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की ही सलाह दी जाएगी। इसे पहले से ही स्केडुल करके आप बिना किसी दिक्कत के टीका लगवा सकते हैं।
अगर आपको टीके की पहली खुराक के बाद कोविड होता है, तो दूसरी खुराक के लिए आपको, टेस्ट करवाने के बाद, 12 हफ़्तों तक प्रतीक्षा करनी होगी।
कोविड-19 टीकाकरण के बाद आपको सिर-दर्द, थकावट या कम्पन आदि दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह बहुत सामान्य है। इससे पता चलता है कि आपके शरीर पर दवाई की प्रतिक्रिया हो रही है और वह कोविड के ख़िलाफ़ प्रतिरक्षा कर रही है। हो सकता है कुछ समय के लिए आपके दैनिक कार्य करने की क्षमता पर इसका प्रभाव पड़े, किन्तु कुछ दिनों पश्चात आप स्वस्थ महसूस करने लगेंगे।
यह वह किट्स होती हैं जिनके द्वारा कोविड-लक्षण से ग्रस्त लोग स्वयं घर पर ही अपना परीक्षण कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए यह पी. डी. एफ़ पढ़ें।
रोगी/ या देखभाल करने वाले को लगातार स्वास्थ्य की जाँच करते रहना चाहिए। यदि किसी भी प्रकार के गंभीर लक्षण दिखाई देने लगें, तो तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
1. साँस लेने में परेशानी
2. शरीर में ऑक्सीजन की कमी (ध्यान रखें कि साधारण तापमान में ऑक्सीजन का स्तर 94% से ऊपर रहे)
ब्लैक फंगस या म्युकर्मीकोसिस एक ऐसी बीमारी है जो फंगस (फफूंद) संक्रामण के कारण होती है। यह बिमारी अपेक्षाकृत दुर्लभ है यानि बहुत कम लोगों में पाई जाती है किंतु अत्यधिक घातक होती है।
ब्लैक फंगस से वह लोग संक्रमित हो सकते हैं, जिनका इम्यून बेहद कमज़ोर होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने मधुमेह (डायबिटीज़) रोगियों को चेतावनी दी है कि कोविड-19 के दौरान वह अपने शुगर स्तर को नियंत्रिण में रखें। मधुमेह रोगियों को ब्लैक फंगस या म्युकर्मीकोसिस होने की संभावना अधिक होती है।
होम आइसोलेशन में कौन रह सकता है?
1. इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी द्वारा नैदानिक रूप से नियत होना चाहिए कि रोगी में बहुत ही हल्के या न के बराबर लक्षण हैं।
2. ऐसे मामलों में रोगियों के घरों में स्व-एकांत (सेल्फ आइसोलेशन) और अन्य परिवार जन के लिए क्वारंटाइन होने की सुविधा अपेक्षित है।
3. 24*7 देखभालकर्ता का होना ज़रूरी है जो मरीज़ का ध्यान रख सके। होम आइसोलेशन की पूरी अवधि के दौरान अस्पताल और देखभालकर्ता के बीच सम्प्रेषण होना आवश्यक है।
4. 60 वर्ष की आयु से अधिक वृद्ध एवं रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ों, जिगर, गुर्दा, प्रमस्तिष्कीय आदि अन्य गंभीर बिमारियों से जूझ रहे लोगों को, इलाज कर रहे चिकित्सक से अच्छे से जाँच करवानी चाहिए। तभी उन्हें होम आइसोलेशन की इजाज़त मिलनी चाहिए।
5. जिन रोगियों का इम्यून बेहद कमज़ोर है (ख़ासकर एच. आई.वी., ट्रांसप्लांट, कैंसर थेरपी के रोगी) , उन्हें होम आइसोलेशन में नहीं रहना चाहिए। अगर उन्हें होम आइसोलेशन में रहना है तो इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी से सही से जाँच करवाना आवश्यक है।
6. रोगी के देखभालकर्ता और अन्य करीबी परिवार जनों को प्रोटोकॉल के अनुसार एवं चिकित्सा अधिकारी द्वारा निर्धारित ‘हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्विन पॉर्फ़ीलैक्सिस’ लेनी चाहिए।
7. इसके अतिरिक्त, अन्य सदस्यों के होम क्वारंटाइन होने के दिशा-निर्दशों को निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं।
अपने स्वास्थ्य की निगरानी कैसे रखें?
• नाड़ी ऑक्सीमीटर का उपयोग: आसान शब्दों में, ऑक्सीमीटर हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिससे हम अपने शरीर के ऑक्सीजन स्तर पर नज़र रख सकते हैं। कोविड के समय में गिरते हुए ऑक्सीजन स्तर की सूचना समय पर मिलने से तत्काल ही और बेहतर सावधानी बरती जा सकती है।
• किसी भी प्रकार के रोग-लक्षण का ध्यान रखें: किसी भी व्यक्ति को यदि ज्वर के साथ खाँसी, सिर दर्द, गले में दर्द, साँस लेने में परेशानी, शरीर में दर्द, स्वाद और गंध का चले जाना, थकान, आँखों में सूजन/लाली, और दस्त रोग आदि है, उसे तुरंत खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए और अपना कोविड टेस्ट करवा लेना चाहिए।
होम आइसोलेशन (स्व- एकांत) के लिए दिशा-निर्देश
अर्ध-गाँवों, गाँवों एवं आदिवासी क्षेत्रों में कोविड-19 से बचाव और प्रबंधन के लिए जारी की गई नई मानक प्रचालन प्रक्रिया (एस. ओ.पी.)
बिना पहचान-पत्रों के लोगों के टीकाकरण के सम्बंध में जारी की गई नई मानक प्रचालन प्रक्रिया
कोविन के द्वारा
संशोधित डिस्चार्ज नीति
ब्लैक फंगस के लक्षण:
- साइनसाइटस – नाक बंद या जमाव, नाक से खून या कालापन निकलना
- गण्डास्थि में दर्द (गाल की हड्डी), चेहरे के एक तरफ़ दर्द, सूजन या सुन्न होना।
- नाक के ऊपरी सतह का काला होना
- दाँत ढीले होना
- धुंधला या दोहरा दिखाई देना
- थ्राम्बोसिस, नेक्रोटिक घाव
- सीने में दर्द, फेंफड़ों में पानी भरना या साँस लेने में दिक्कत होना
सही तरीके से दो मास्क कैसे लगाएँ
अधिक स्पष्टता के लिए, इस लेख को पढ़ें।